भारत की Parliament ने एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए प्रमोशन एंड रेग्युलेशन ऑफ ऑनलाइन गेमिंग बिल, 2025 पारित कर दिया है। इस बिल के तहत अब देशभर में किसी भी तरह के पैसे वाले ऑनलाइन गेम ( Zupee ludo ) पूरी तरह प्रतिबंधित होंगे। सरकार का दावा है कि यह कानून समाज और युवाओं को बढ़ते नशे जैसे ऑनलाइन गेमिंग की लत से बचाने के लिए ज़रूरी है।
हालाँकि, इस कदम ने उद्योग जगत, निवेशकों और विपक्षी दलों के बीच जबरदस्त विरोध भी खड़ा कर दिया है। एक ओर सरकार इसे “ड्रग्स से भी बड़ा संकट” बता रही है, वहीं दूसरी ओर कंपनियाँ और खिलाड़ी इसे करोड़ों नौकरियों और अरबों डॉलर के निवेश पर खतरा मान रहे हैं।

बिल में क्या है खास?
इस कानून के लागू होते ही भारत में किसी भी कंपनी या व्यक्ति को ऑनलाइन मनी गेम चलाने, उसका विज्ञापन करने या प्रमोशन करने की अनुमति नहीं होगी। इसमें फैंटेसी स्पोर्ट्स, रम्मी-पोकर जैसे कार्ड गेम, बेटिंग ऐप, ऑनलाइन लॉटरी और पैसे लगाकर खेले जाने वाले सभी खेल शामिल हैं।
मुख्य बिंदु इस प्रकार हैं –
- कड़ी सज़ा और जुर्माना
- किसी भी प्रकार का मनी गेम ऑफर या ऑपरेट करने पर 3 साल तक की जेल और अधिकतम ₹1 करोड़ जुर्माना लगाया जा सकेगा।
- ऐसे गेम का विज्ञापन करने वालों पर 2 साल तक की जेल और ₹50 लाख तक का जुर्माना हो सकता है।
- तेज़ी से पारित हुआ कानून
- लोकसभा में यह बिल सिर्फ़ 7 मिनट में पास हो गया।
- राज्यसभा में भी 26 मिनट के भीतर बिना चर्चा के वॉयस वोट से पारित कर दिया गया।
- विपक्ष का आरोप है कि सरकार ने जल्दबाज़ी में यह बिल पास कर विपक्षी दलों की राय तक नहीं सुनी।
- नियामक संस्था का गठन
- सरकार एक राष्ट्रीय ऑनलाइन गेमिंग आयोग (NOGC) बनाएगी, जो तय करेगा कि कौन से गेम वैध हैं और कौन से प्रतिबंधित।
- आयोग को यह अधिकार होगा कि वह अवैध प्लेटफॉर्म्स को ब्लॉक करे और कंपनियों को कड़े निर्देश जारी करे।
- सरकार का तर्क
- इलेक्ट्रॉनिक्स एवं आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि भारत में लगभग 45 करोड़ लोग ऑनलाइन गेमिंग से जुड़े हैं और हर साल करीब ₹20,000 करोड़ से ज़्यादा का नुकसान हो रहा है।
- उन्होंने इसे ड्रग्स से भी बड़ा सामाजिक संकट बताते हुए कहा कि युवा कर्ज़ और लत के कारण आत्महत्या तक कर रहे हैं।
सरकार को यह कानून क्यों लाना पड़ा?
इस बिल के पीछे कई गंभीर वजहें हैं, जिन्हें सरकार ने सदन में गिनाया –
- लत और मानसिक स्वास्थ्य पर असर
ऑनलाइन मनी गेमिंग अब केवल मनोरंजन नहीं बल्कि नशे की तरह हो गई है। कई युवाओं के मामले सामने आए हैं जिन्होंने हार-हारकर आत्महत्या जैसा कदम उठा लिया। - आर्थिक नुकसान और धोखाधड़ी
फैंटेसी स्पोर्ट्स और बेटिंग कंपनियों पर आरोप है कि ये भारी विज्ञापन खर्च कर लोगों को आकर्षित करती हैं और धीरे-धीरे उन्हें वित्तीय नुकसान में धकेल देती हैं। - राज्यों में अलग-अलग नियम
अब तक अलग-अलग राज्यों ने अपने-अपने स्तर पर गेमिंग पर रोक लगाई थी, लेकिन कोई एकीकृत कानून नहीं था। इससे कंपनियाँ नियमों का फायदा उठाकर loophole तलाश लेती थीं। अब पूरे देश में एक समान कानून लागू होगा। - वैध और अवैध गेमिंग में अंतर
सरकार ने साफ किया है कि यह प्रतिबंध सिर्फ पैसे से जुड़े गेम्स पर है। ई-स्पोर्ट्स, वीडियो गेम्स और सोशल गेम्स पर इसका असर नहीं होगा।
उद्योग जगत पर झटका
इस कानून से भारत का ऑनलाइन गेमिंग उद्योग गहरे संकट में फँस गया है।
- कंपनियों पर संकट
Dream11, MPL, Zupee और Games24x7 जैसी बड़ी कंपनियाँ, जिनकी वैल्यू अरबों डॉलर में है, अब बंद होने या कारोबार सिमटने की कगार पर हैं। - निवेशकों का भरोसा डगमगाया
Tiger Global और Peak XV जैसे बड़े निवेशकों ने कहा है कि वे भारत में अपने निवेश पर पुनर्विचार करेंगे। - शेयर मार्केट में गिरावट
नज़ारा टेक जैसी लिस्टेड कंपनियों के शेयर 11% तक टूट गए। वहीं, डेल्टा कॉर्प को भी 3-5% की गिरावट का सामना करना पड़ा। - कानूनी चुनौती
उद्योग से जुड़े संगठनों ने संकेत दिया है कि वे इस कानून को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देंगे, क्योंकि इसमें स्किल बेस्ड गेम जैसे पोकर और रम्मी को भी जुआ मान लिया गया है।
विपक्ष का विरोध
विपक्षी दलों ने संसद में ज़बरदस्त हंगामा किया। उनका आरोप है कि –
- सरकार ने बिना चर्चा और विपक्ष की राय लिए बिल पास कर दिया।
- कुछ सांसदों ने इसे “लोकतंत्र की हत्या” बताते हुए मांग की कि बिल को सिलेक्ट कमेटी के पास भेजा जाए।
- विपक्ष ने नारेबाज़ी करते हुए सदन से वॉकआउट भी किया।
लाखों उपभोक्ताओं पर असर
- लाखों यूज़र्स, जो फैंटेसी क्रिकेट या कार्ड गेम्स पर पैसे लगाते थे, अब अचानक बिना विकल्प रह जाएंगे।
- सवाल उठ रहा है कि जिन खिलाड़ियों ने पहले से पैसे लगाए हैं, उनका पैसा वापस कैसे मिलेगा।
- कई स्टार्टअप्स, जिन्होंने इस क्षेत्र में निवेश किया था, अब बंद होने के खतरे में हैं।
क्या होगा आगे?
इस कानून के दूरगामी असर भारतीय गेमिंग उद्योग की दिशा तय करेंगे –
- ई-स्पोर्ट्स को बढ़ावा
सरकार चाहती है कि भारत ई-स्पोर्ट्स और वीडियो गेमिंग में ताक़तवर बने। यह प्रतिबंध शायद कंपनियों को नए रास्ते खोजने और क्रिएटिव गेम बनाने की ओर धकेले। - ब्लैक मार्केट का खतरा
यदि लोग अपनी आदत नहीं छोड़ पाए तो वे विदेशी अवैध प्लेटफॉर्म्स की ओर रुख कर सकते हैं, जहाँ सरकार का कोई नियंत्रण नहीं होगा। - नवाचार और बदलाव
भारतीय डेवलपर्स को अब ऐसे गेम बनाने होंगे जिनमें स्किल और मनोरंजन हो लेकिन पैसे का लेन-देन न हो।
भारत का पहला संघीय ऑनलाइन मनी गेमिंग प्रतिबंध कानून निस्संदेह ऐतिहासिक है। सरकार का मानना है कि यह कदम युवाओं को लत और कर्ज़ से बचाएगा, जबकि उद्योग जगत को डर है कि इससे एक 36 अरब डॉलर का उभरता हुआ क्षेत्र बर्बाद हो जाएगा।
अब असली चुनौती यह होगी कि क्या उद्योग इस संकट से निकलकर नए रास्ते अपनाएगा या फिर यह कानून भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था को बड़ा झटका देगा। आने वाले महीनों में यह साफ होगा कि यह फैसला देश को सुरक्षित बनाता है या फिर प्रतिभा और निवेश को बाहर धकेल देता है।
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